Akhanda Dhuna

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Saturday, December 21, 2013

दत्तबावनि

दत्तबावनि

जय योगीश्वर दत्त दयाळ| तु ज एक जगमां प्रतिपाळ ||१||
अत्र्यनसूया करी निमित्त| प्रगट्यो जगकारण निश्चित||२||
ब्रम्हाहरिहरनो अवतार, शरणागतनो तारणहार ||३||
अन्तर्यामि सतचितसुख| बहार सद्गुरु द्विभुज सुमुख् ||४||
झोळी अन्नपुर्णा करमाह्य| शान्ति कमन्डल कर सोहाय ||५||
क्याय चतुर्भुज षडभुज सार| अनन्तबाहु तु निर्धार ||६||
आव्यो शरणे बाळ अजाण| उठ दिगंबर चाल्या प्राण ||७||
सुणी अर्जुण केरो साद| रिझ्यो पुर्वे तु साक्शात ||८||
दिधी रिद्धि सिद्धि अपार| अंते मुक्ति महापद सार ||९||
किधो आजे केम विलम्ब| तुजविन मुजने ना आलम्ब ||१०||
विष्णुशर्म द्विज तार्यो एम| जम्यो श्राद्ध्मां देखि प्रेम ||११||
जम्भदैत्यथी त्रास्या देव| किधि म्हेर ते त्यां ततखेव ||१२||
विस्तारी माया दितिसुत| इन्द्र करे हणाब्यो तुर्त ||१३||
एवी लीला क इ क इ सर्व| किधी वर्णवे को ते शर्व ||१४||
दोड्यो आयु सुतने काम| किधो एने ते निष्काम ||१५||
बोध्या यदुने परशुराम| साध्यदेव प्रल्हाद अकाम ||१६||
एवी तारी कृपा अगाध| केम सुने ना मारो साद ||१७||
दोड अंत ना देख अनंत| मा कर अधवच शिशुनो अंत ||१८||
जोइ द्विज स्त्री केरो स्नेह| थयो पुत्र तु निसन्देह ||१९||
स्मर्तृगामि कलिकाळ कृपाळ| तार्यो धोबि छेक गमार ||२०||
पेट पिडथी तार्यो विप्र| ब्राम्हण शेठ उगार्यो क्षिप्र ||२१||
करे केम ना मारो व्हार| जो आणि गम एकज वार ||२२||
शुष्क काष्ठणे आंण्या पत्र| थयो केम उदासिन अत्र ||२३||
जर्जर वन्ध्या केरां स्वप्न| कर्या सफळ ते सुतना कृत्स्ण ||२४||
करि दुर ब्राम्हणनो कोढ| किधा पुरण एना कोड ||२५||
वन्ध्या भैंस दुझवी देव| हर्यु दारिद्र्य ते ततखेव ||२६||
झालर खायि रिझयो एम| दिधो सुवर्ण घट सप्रेम ||२७||
ब्राम्हण स्त्रिणो मृत भरतार| किधो संजीवन ते निर्धार ||२८||
ब्राम्हण स्त्रीच्या मृत पतीला तु पुन्हा जीवित केलेस.
पिशाच पिडा किधी दूर| विप्रपुत्र उठाड्यो शुर ||२९||
हरि विप्र मज अंत्यज हाथ| रक्षो भक्ति त्रिविक्रम तात ||३०||
निमेष मात्रे तंतुक एक| पहोच्याडो श्री शैल देख ||३१||
एकि साथे आठ स्वरूप| धरि देव बहुरूप अरूप ||३२||
संतोष्या निज भक्त सुजात| आपि परचाओ साक्षात ||३३||
यवनराजनि टाळी पीड| जातपातनि तने न चीड ||३४||
रामकृष्णरुपे ते एम| किधि लिलाओ कई तेम ||३५||
तार्या पत्थर गणिका व्याध| पशुपंखिपण तुजने साध ||३६||
अधम ओधारण तारु नाम| गात सरे न शा शा काम ||३७||
आधि व्याधि उपाधि सर्व| टळे स्मरणमात्रथी शर्व ||३८||
मुठ चोट ना लागे जाण| पामे नर स्मरणे निर्वाण ||३९||
डाकण शाकण भेंसासुर| भुत पिशाचो जंद असुर ||४०||
नासे मुठी दईने तुर्त| दत्त धुन सांभाळता मुर्त ||४१||
करी धूप गाये जे एम| दत्तबावनि आ सप्रेम ||४२||
सुधरे तेणा बन्ने लोक| रहे न तेने क्यांये शोक ||४३||
दासि सिद्धि तेनि थाय| दुःख दारिद्र्य तेना जाय ||४४||
बावन गुरुवारे नित नेम| करे पाठ बावन सप्रेम ||४५||
यथावकाशे नित्य नियम| तेणे कधि ना दंडे यम ||४६||
अनेक रुपे एज अभंग| भजता नडे न माया रंग ||४७||
सहस्त्र नामे नामि एक| दत्त दिगंबर असंग छेक ||४८||
वंदु तुजने वारंवार| वेद श्वास तारा निर्धार ||४९||
थाके वर्णवतां ज्यां शेष| कोण रांक हुं बहुकृत वेष ||५०||
अनुभव तृप्तिनो उद्गार| सुणि हंशे ते खाशे मार ||५१||Save
तपसि तत्वमसि ए देव| बोलो जय जय श्री गुरुदेव ||५२||.

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